Thursday, July 4, 2013

harshad

आज फिर सवेरे के लिए तडपती शाम को मैंने समझाया;

“जो कभी नहीं मिल सकता,

क्यों उसके लिये तडपती हो ??”

वह बोली, ” क्या करुं ? मेरा वजुद भी तो उसीसे है !!!”

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