Wednesday, July 17, 2013

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम समय-समय पर लक्ष्मण, सीता और हनुमान जी को खुशहाल जीवन जीने के बारे में उपदेश दिया करते थे। इसी सिलसिले में एक दिन उन्होंने कहा, जगत में सत्य ही ईश्वर है।

धर्म की स्थिति सत्य के आधार पर टिकी रहती है। सत्य से बढ़कर दूसरा कोई पुण्य कार्य नहीं है। दान, यज्ञ, होम, तपस्या और वेद सबका आश्रय सत्य है, अतः सत्यपरायण होना चाहिए।


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